हेम शर्मा, प्रधान संपादक
khabarupdateofficial@gmail.com
19 May 2022 04:07 PM
प्रचंड गर्मी ने सबका बेहाल कर रखा है। हर बार की तरह इस बार भी बिजली-पानी की जबरदस्त किल्लत है। ये समस्या सीधे तौर पर जनता से जुड़ी है। जिसे देखते हुए देवी सिंह भाटी हल्ला बोल आंदोलन करने जा रहे हैं। उनका मानना है कि वो समाज को संगठित करके शासन-प्रशासन से जवाब तलब करेंगे और बदलाव की बयार बहाएंगे। इसके लिए वो ज़िलेभर में घूम रहे हैं। जनता की परेशानियों को लेकर उनकी संवेदनाएं जगा रहे हैं। वहीं देवी सिंह भाटी के विरोधी इसे 'पॉलीटिकल स्टंट' मान रहे हैं। जब यह मुद्दा सीधे तौर पर जनता से जुड़ा है, ऐसे में बिजली-पानी की किल्ल्त से त्रस्त जनता के लिए बाक़ी राजनेता चुप्पी क्यों साधे बैठे हैं?
पश्चिमी राजस्थान और बीकानेर में नहर आधारित पेयजल व्यवस्था है। इन दिनों मरम्मत के लिए नहर बंदी होने से पानी की किल्लत और बढ़ जाती है। प्रशासन भी इन हालातों के प्रति सजग रहता ही है। वहीं जनता बिजली-पानी के लिए त्राहिमाम् करने लगती है. ऐसे में सवाल उठता है कि जनता से जुड़ी इन दिक्कतों के प्रति हमारे जनप्रतिनिधि कितने संवेदनशील हैं? बीकानेर जिले में 7 विधायक हैं- गिरधारी लाल महिया, सुमित गोदारा, बिहारी लाल विश्नोई, भंवर सिंह भाटी, गोविंद मेघवाल, डॉ. बी. डी. कल्ला, सिद्धि कुमारी। जिनमें से डॉ. बी. डी. कल्ला, मेघवाल और भाटी मंत्री के पद पर हैं। सरकार और बेहतर करें इसके लिए क्या सत्ता के नेताओं और विपक्ष के विधायकों की भूमिका से जनता को कोई उम्मीद है? पानी-बिजली की किल्लत विपरीत हालातों में जनता को भुगतनी ही पड़ेगी। भाजपा और कांग्रेस में और भी सक्रिय नेता हैं, मसलन- रामेश्वर डूडी जो किसानों से जुड़े बार्ड के अध्यक्ष हैं। क्या लक्ष्मण कड़वासरा, भूदान बोर्ड अध्यक्ष, महेंद्र गहलोत, केश कला बोर्ड अध्यक्ष के अलावा कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी, पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल, पूर्व विधायक मंगला राम गोदारा अपनी सरकार के कार्यकाल में इन जन पीड़ाओं को समझ पा रहे हैं? उसी तरह सवाल यह भी है कि भाजपा मजबूत विपक्ष होते हुए शहर देहात अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ. विश्वनाथ और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल जनता की इन परेशानियों की आवाज क्यों नहीं बन रहे हैं। राजनेता राजनीति चमकाने में जुटे हैं, उधर जनता बिजली-पानी के लिए व्याकुल हो रही है.
कुल मिलाकर बात का सार इस सवाल के तौर पर निकलता दिखता है कि क्या जन-समस्याएं नेताओं के लिए फकत राजनीति करने का जरिया है। जिसे जो अनुकूल लगे, वो राजनीतिक टूल बना लेते हैं। और अगर वास्तव में जनता की पीड़ा समझते हैं तो देवी सिंह भाटी के अलावा बाकी राजनेता चुप क्यों हैं? आखिर क्यों सत्ता पक्ष और विपक्ष इसे जनता की तकलीफ क्यों नहीं मान रहे हैं। भाटी, जो फिलवक्त किसी पार्टी में नहीं हैं, एकमात्र वही हल्ला बोल कर रहे हैं? वो हल्ला बोल करने जा रहे हैं, कुछ बोल तो आप भी जाइये। आख़िर बात जनता की पीड़ा की ही तो है.
RELATED ARTICLES
28 June 2022 07:00 PM
27 June 2022 03:07 PM
22 June 2022 03:22 PM
22 June 2022 11:19 AM