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02 February 2021 06:16 PM
पिछले दो महीनों से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन आखिर कब खत्म होगा? इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है. न सरकार मानने को तैयार हैं और न ही किसान झुकने को तैयार. लेकिन अब किसान नेता राकेश टिकैत ने जो बयान दिया है, उससे किसान आंदोलन की मियाद का आंकलन किया जा सकता है. आइये, सबसे पहले जानते हैं कि आख़िरकार राकेश टिकैत ने क्या कहा है?
दरअसल भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आज कहा कि
"कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं. हमने सरकार को बता दिया कि यह आंदोलन अक्टूबर तक चलेगा. बातचीत भी चलती रहेगी. नौजवानों को बहकाया गया है और उनको लाल किले का रास्ता बताया गया कि पंजाब की कौम बदनाम हो। किसान कौम को बदनाम करने की कोशिश की गई है. कुल मिलाकर सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध अक्टूबर से पहले खत्म नहीं होने जा रहा है."
आपको बता दें कि किसानों की मांग इन कानूनों को वापस लेने के अलावा, एमएसपी पर कानून बनाने की है। किसानों का दावा है कि सरकार ने ये कानून चंद उद्योगपतियों की मदद करने के लिए लाई है. इसी के विरोध में किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य जगहों के कानूनों के विरोध में पिछले दो महीनों से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं. किसानों को रोकने के लिए आंदोलन वाली सीमा पर लोहे और कंक्रीट ढांचे से बैरीकेड लगाए गए हैं और बाड़बंदी कर दी गई है। इसके अलावा सड़कों पर कीलें लगा दी गई ताकि कोई प्रदर्शनकारी दिल्ली की ओर नहीं बढ़ सके। विरोध स्थल पर इंटरनेट सेवा भी निलंबित कर दी गई है. गाजीपुर की सुरक्षा इतनी चाकचौबंद की गई है कि कई लेयर में सैकड़ों की तादात में सुरक्षाकर्मी बिल्कुल अलर्ट मोड पर तैनात हैं और सीनियर ऑफिसर उन्हें तैयारी को लेकर निर्देश दे रहे हैं। रास्ते को पूरी तरह ब्लॉक कर सुरक्षा का कड़ा पहरा है. बहरहाल, देखने वाली बात होगी कि इस आंदोलन का क्या नतीजा निकलता है.
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