हेम शर्मा, प्रधान संपादक
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22 September 2022 09:25 AM
मंगलवार को नगर विकास न्यास (UIT) के कार्यों की समीक्षा बैठक थी। इस बैठक में न्यास के अध्यक्ष- ज़िला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल नाराज़ लहजे में यह निर्देश देते हुए नज़र आए कि
इसके बाद उन्होंने हर शाखा की सभी फाइलों की लिस्टें जल्द से जल्द मुहैया करवाने के निर्देश दे डाले।
ज़िला कलेक्टर और न्यास अध्यक्ष भगवती प्रसाद कलाल का नाराज़ होना लाजमी है। लेकिन सवाल यह है कि उनकी इस 'नाराजगी' का 'हासिल' क्या होगा? क्या आने वाले समय में हम न्यास की कार्यशैली में बदलाव देख पाएंगे? शायद वर्तमान न्यास अध्यक्ष नहीं जानते कि न्यास की इस बदइंतजामी की रवायत आज से नहीं बल्कि बरसों से रही है। कौन नहीं जानता कि नगर विकास न्यास की व्यवस्था भू-माफियाओं के कब्जे में है। इस कॉकस की जड़ें इतनी दूर तलक फैल चुकी हैं कि उनके आख़िरी छोर को ढूंढ पाना किसी भी न्यास अध्यक्ष के लिए चैलेेंज होगा। पत्रावलियां तो कहां-कहां दबी और छुपाई पड़ी हैं, इसका पता लगाना भी मुश्किल ही होगा। आवासीय कॉलोनियों, भूखंडों के मामलों की परतें उधेड़ने से कितने पर्दे हटेंगे, इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता। दस्तावेजों के लिए कई लोगों को सेवा निवृत कार्मिकों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। नक्शों और कई भूखंडों की डिटेल आप ख़ुद मांग कर देख लीजिए, पत्ता चल जाएगा कि हकीकत क्या है?
अध्यक्ष महोदय ! आप ही कहते हैं कि "आमजन से न्यास को दी गई पत्रावलियों के खो जाने संबंधी शिकायतें मिलती हैं। इससे कार्यालय की साख पर आन पड़ी है।" हकीकत तो यह है कि न्यास की साख बिल्डर्स और रियल एस्टेट के इक्यूपमेंट से ज्यादा नहीं रह गई है। इसकी व्यवस्था में इतने छेद हो गए हैं कि कोई न्यास अध्यक्ष इसे दुरुस्त नहीं कर सकता। व्यवस्था की साख को लेकर आपकी यह स्वीकार्यता अच्छी बात है। यह भी अच्छी बात है कि आप जनहित में इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। एक जिम्मेदार और कुशल प्रशासक की यह भावना बिल्कुल सही है। मगर मसला यह है कि इस विफलता के पीछे के कॉकस को कैसे दूर किया जाए? आप पत्रावलियां खो जाने के मामले में तो सख्त कानूनी कार्रवाई कीजिए, सारा सच सामने आ जाएगा। इसके गहराई में जाकर जांच करने पर आपको न्यास की दूसरी ही तस्वीर दिखाई देगी। सभी शाखाओं की सभी फाइलों की लिस्ट मिल जाए तो भी बड़ा काम हो जाएगा।
अध्यक्ष के रूप में आपका यह कहना भी बिल्कुल ठीक है कि अगर किसी को काम है, तो सीधे न्यास कार्यालय में संपर्क करें। बिचौलियों के झांसे में न आएं। न्यास से जुड़े किसी कार्य के लिए कोई बिचौलिया दखल करता है तो हेल्पलाइन नंबर 9530313150 पर इसकी शिकायत की जा सकती है। लेकिन परेशानी यह है कि सीधे काम होता भी तो नहीं है। बिचौलियों से ही काम होता है। आप ख़ुद जांच करवा कर देख लीजिए। खैर, यह न्यास अध्यक्ष की संवेदनशीलता है कि व्यवस्था को येन-केन सुधारा जाए। इसके लिए सबसे पहले जरुरी है कि न्यास कार्मिकों की नैतिकता जागे। लेकिन क्या ऐसा हो सकता है? आपने जो देखा और जाना, वो न्यास की असली तस्वीर बताने के लिए काफी था। आपकी आगे की कवायदें कितनी सफल होंगी, यह भविष्य के गर्भ में है। जनता के लिए तो यह भी सुखद है कि किसी न्यास अध्यक्ष ने नगर विकास न्यास का यथार्थ तो जाना।
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