हेम शर्मा, प्रधान संपादक
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27 January 2023 02:49 PM
"सियासत में ‘खत’ लिखना फकत सुर्खियां बटोरने का इक आसान तरीका है, सिवाय इसके अलावा कुछ भी तो नहीं।" मेरी इस बात से अगर कोई इत्तेफाक नहीं रखता तो वो यह बता दे कि सियासतदानों को उनके लिखे खत का कोई जवाब काहे नहीं मिलता? और स्पष्टीकरण के लिए, नज़ीर के तौर पर कुछ नेताओं द्वारा लिखे ख़त का जिक्र कर रहा हूं, जिनके ख़त का कोई जवाब नहीं मिला है-
- सबसे पहले बात करते हैं, राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री गोविंद मेघवाल की। जिन्होंने सरकार को खत लिखकर स्कूलों से 250 शिक्षक हटाने के मसले पर शिक्षा मंत्री का विरोध किया है।
- केंद्रीय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी रेलवे बाईपास को लेकर रेल मंत्री को पत्र लिख ही चुके हैं।
- पूर्व सिंचाई मंत्री देवी सिंह भाटी सीएम भी बीते 4 बरसों में सीएम अशोक गहलोत को कई मुद्दों पर कई मर्तबा खत लिख चुके हैं।
- उसी तरह राजस्थानी भाषा की मान्यता की मांग को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केंद्र सरकार को खत लिख चुके हैं। इनकी सरकारों में सीएस ने अब तक 11 पत्र प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को लिख चुके हैं।
अब कुछ ज़रुरी सवाल।
कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल का अपने कैबिनेट साथी बी.डी. कल्ला के खिलाफ लिखे पत्र पर क्या कार्यवाही हुई? वो लाख कहे कि उन्होंने जन समस्याओं के मद्देनज़र सीएम के नाम एक खत भेजा था लेकिन उसका क्या असर हुआ? सिवाय सरकार की जग हंसाई के। क्या जनता को राहत मिली? जवाब है- नहीं।
क्या केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम के पत्रों से रेलबाई पास की समस्या का और राजस्थानी भाषा की मान्यता के मुद्दे का समाधान हुआ? जवाब है- नहीं। दरअसल, उन्होंने जो-जो पत्र लिखे, उनका ब्यौरा रखें तो परिणाम शून्य है। मायने ज़ीरो।
उसी तरह राजस्थानी भाषा की मान्यता की मांग को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा केंद्र सरकार को लिखे खत का क्या असर हुआ? भले ही ये राजस्थान के लोगों के 'मन की बात' हो लेकिन क्या इस पर कोई कार्यवाही हुई? जवाब है- नहीं।
अब इस जगह एक और बार उपरोक्त लिखी बात की पुनरावृति करुंगा कि "सियासत में ‘खत’ लिखना फकत सुर्खियां बटोरने का इक आसान तरीका है, सिवाय इसके अलावा कुछ भी तो नहीं। जन समस्याओं के मुद्दों को पत्र में रचकर सुर्खियां बटोर लेना जनप्रतिनिधि की भूमिका की इतिश्री कर लेना है। सरकारों में इतनी संवेदना कहां है जो पत्र में लिखी पीड़ा को समझकर उसका समाधान कर दें।"
खैर, इन सबके बीच ही.. देवी सिंह भाटी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फिर एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कोलायत विधान सभा क्षेत्र में हुई एक गैस त्रासदी की वेदना को शब्द दिये हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस खत का जवाब आयेगा। विषयान्तर्गत लिखा है कि
दिनांक 12 जनवरी 2023 को कोलायत विधान सभा क्षेत्र के गोड ग्राम पंचायत के चक 9 जीएमआर में हुई भीषण गैस त्रासदी हुई, जिसमें 3 व्यक्तियों की मृत्यु और 6 व्यक्ति झुलस गये थे। मृतकों को राज्य सरकार द्वारा बीस लाख रुपये और गैस एजेन्सी द्वारा पचास लाख रूपये दिये जायें। इस संबंध में जिला प्रशासन एवं गैस एजेन्सी द्वारा त्रासदी के बाद लंबा समय निकलने के बाद भी किसी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं की गई है। जबकि संकट के समय ही पीडितों को तुरन्त मदद की जरूरत होती है। अभी तो आटे, राशन, ओढ़ने-पहनने के कपड़े भी नहीं दिये गये है। घायलों के लिए छत-मकान की भी स्वीकृति जारी नहीं की गई है। राज्य सरकार का प्रतिनिधि तथा जिला प्रशासन का जिला कलक्टर, आयुक्त 10 दिन तक संभालने तक नहीं गये। धिक्कार है ! ऐसी सरकार और प्रशासन के लिए। सरकार तुरन्त व्यवस्था करें अन्यथा हमें संघर्ष के लिए सड़कों पर आना पड़ेगा। राज्य सरकार से हमारी अपील है कि वो अति शीघ्र निर्णायक फैसला लेवें और स्थानीय प्रशासन को आदेश देवें कि पीड़ित परिवार को राज्य सरकार एंव गैस एजेन्सी के नियमानुसार मुआवजा राशि दिलायें। साथ ही, भविष्य में भी ऐसी घटनाओं में शीघ्र संज्ञान लेकर पीड़ित परिवार की सहायता करें।
हालांकि, राजस्थान सरकार में ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी और बाद में जिला कलक्टर भी घटना से पीड़ित परिवार से मिलने गये थे। गौरतलब है कि ऐसी गैस त्रासदी राज्य में जोधपुर, बीकानेर समेत कई क्षेत्रों में हुई है, इसकी जांच करना भी मुद्दा है। सिलेंडर से गैस लीक क्यों हुई? गैस सिलेंडर में सुरक्षा मानक की पालना नहीं हो रही है? या फिर लापरवाही बरती जा रही है। वैसे भाटी जी ! आप पत्र लिखने और उन पर हुई कार्यवाही की नज़ीरें ऊपर पढ़ सकते हैं। पत्र लिखने भर से समाधान नहीं हो सकता, पीछे लगना होता है। सरकारों में पत्रों का क्या हस्र होता है, ये बताने की दरकार नहीं है। हजारों पत्र तो बगैर देखे ही रद्दी की टोकरी में चले जाते हैं। कहीं आपका पत्र भी केंद्रीय राज्य मंत्री माननीय अर्जुन राम मेघवाल, कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल की तरह दफ्तर दाखिल हो गया है। आप जरा पता लगा लीजिए।
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