हेम शर्मा, प्रधान संपादक
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22 June 2022 03:22 PM
बीकानेर की स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. पी. सिंह 22 जून को भी राजस्थान राज्य महिला आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। महिला आयोग ने बीकानेर पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया था कि 22 जून को कुलपति को 'हर हाल' में आयोग के समक्ष उपस्थित किया जाये। लेकिन इस बार भी ऐसा नहीं हो सका। एक बार फिर कुलपति पुलिस को चकमा दे ही गए। यह पहली मर्तबा नहीं है, जब कुलपति महोदय ने आयोग के आदेशों की अवहेलना की हो, इससे पहले भी वो दो बार आयोग के आदेशों की अवहेलना कर चुके हैं। सवाल उठता है कि क्या कुलपति द्वारा बार-बार आयोग के आदेशों की अवहेलना करना सही है? अगर वो बेगुनाह हैं तो वे उपस्थित क्यों नहीं हो जाते? या फिर इसका यह अर्थ निकाला जाए कि जिस प्रकरण में उनके खिलाफ सुनवाई है, उसमें वो दोषी साबित होने से डर रहे हैं। आख़िर क्यों वो भागते फिर रहे हैं?
कुलपति को यह बात समझनी चाहिए कि आयोग, सरकार और पुलिस के हाथ लम्बे हैं। व्यवस्था का उल्लंघन करके कोई नहीं बच सकता। अब तक तो कुलाधिपति महोदय को भी कुलपति की असलियत समझ आ गई होगी। उनके ख़िलाफ़ शिकायतों का सच भी जान ही लिया होगा। वैसे, शिक्षा जगत और जनता में तो कुलपति का सच उजागर हो चुका है। अगर कुलाधिपति के स्तर पर तत्काल न्यायपूर्ण और उचित कार्रवाई नहीं होती है तो इस उजागर सच के अर्थ बदल जाएंगे। आरोपों के घेरे में और लोग भी आएंगे।
बहरहाल, आयोग की तरफ से कुलपति के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी ही है। राज्यपाल और राजस्थान सरकार को भी इस प्रकरण में न्याय संगत कार्रवाई करनी है। पुलिस महानिदेशक के स्तर पर भी एक्शन लिया जाना है। इस मामले में क्या होगा, यह तो व्यवस्था के हाथ में है। लेकिन फिलवक़्त जो हो रहा है, वो नि:संदेह अच्छा नहीं है। शिक्षा जगत, समाज और व्यवस्था के लिए कतई अच्छा संदेश नहीं गया है। सच और झूठ का पर्दाफ़ाश हो ही जाना चाहिए। अगर कुलपति निर्दोष हैं तो जनता और विद्यार्थियों को सच बताया जाए और अगर वो दोषी हैं तो उन्हें दंड मिलना चाहिए। क्योंकि कोई विश्वविद्यालय किसी एक व्यक्ति की निजी संपत्ति नहीं होती, शिक्षा के यह मंदिर तो समाज और विद्यार्थियों का भविष्य रोशन करने के उद्देश्य से बनाया जाता है। आज स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के जो हालात हैं, वो चिंताजनक हैं। शिकायतों के निस्तारण में देरी के यही परिणाम होने हैं। इस घोर पाप के जो भी ज़िम्मेदार हैं, उनको पहचाना जाना चाहिए और दंडित किया जाना चाहिए.
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