सुमित शर्मा, संपादक
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05 December 2020 03:18 PM
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने 20 दिसंबर 2020 को भारत बायोटेक की वैक्सीन- 'कोवैक्सीन' के ट्रायल के दौरान कोरोना का टीका लगवाया. अनिल विज को टीका लगवाने के 15 दिन ही बीते थे कि 2 दिसंबर 2020 को वो कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए इस बात की जानकारी उन्होंने खुद अपने ट्विटर अकाउंट से दी है. जैसे ही अनिल विज के कोरोना संक्रमित होने की ख़बर आई, वैसे ही इस वैक्सीन को लेकर सबके जेहन में सवाल उठने लगे कि " वैक्सीन लगाने के बाद भी उन्हें कोरोना कैसे हो गया? क्या भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन असरदार नहीं है? क्या इस वैक्सीन का ट्रायल फेल हो गया?" बहुत सारे यूजर्स ने यही सवाल पूछते हुए वैक्सीन के असर पर सवाल खड़े किए हैं. इन तमाम सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे लेकिन उससे पहले ये जानना जरुरी है कि अनिल विज को वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना कैसे हो गया?
दरअसल अनिल विज को को अंबाला के एक अस्पताल में 20 नवंबर को Covaxin की पहली डोज दी गई थी। Covaxin के फेज 3 ट्रायल प्रोटोकॉल के अनुसार, 0.5mg की दो डोज दी जानी हैं। पहली डोज के बाद दूसरी डोज 28वें दिन लगती है। यानी विज को वैक्सीन की दूसरी डोज अभी तक नहीं दी गई है। जब तक वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लगतीं, कोविड से इम्युनिटी मुश्किल है। विज के संक्रमित होने की यही वजह नजर आती है, हालांकि एक्सपर्ट्स अभी उनकी जांच कर कारण को पिनपॉइंट करेंगे।
अब बात करते हैं लोगों के संशय और सवालों की. देखिये, यह कहना बेहद अभी जल्दबाजी होगी कि यह वैक्सीन असरदार नहीं है. क्योंकि किसी भी वैक्सीन का डोज प्रोटोकॉल पूरा होने के बाद ही, उसके असर के निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। खुद वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक का भी यही कहना है कि
"कोवैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल दो डोज शेड्यूल आधारित है जो 28 दिन के अंतराल पर दिए जाते हैं। इस वैक्सीन का प्रभाव दूसरे डोज के 14 दिन बाद पता चलेगा। दोनों खुराक लेने के बाद ही कोवैक्सीन प्रभावी होता है।"
फिलहाल Covaxin देशभर में करीब 26 हजार वॉलंटियर्स पर फेज 3 ट्रायल से गुजर रही है। दोनों डोज देने के बाद वैक्सीन के असर और सेफ्टी का डेटा कलेक्ट किया जाएगा। फाइजर, मॉडर्ना, ऑक्सफर्ड समेत अभी तक जिन भी वैक्सीन के इम्युनोजेनिसिटी डेटा आए हैं, वह सभी डबल डोज वाली हैं। ऐसे में केवल इस घटना के आधार पर वैक्सीन को खारिज नहीं किया जा सकता। ट्रायल पूरा होने के बाद, जब डेटा आएगा तभी वैक्सीन के असर पर स्पष्ट रूप से कुछ कहा जा सकेगा। असल बात तो यह है कि कोविड वैक्सीन के ट्रायल में शामिल किसी को भी संक्रमण हो सकता है। इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है। यह बेहद सामान्य प्रक्रिया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन को ऐसी वैक्सीन को मंजूरी दे रहा है जो 50% भी असरदार हैं। यानी अगर कोई वैक्सीन लगने के बाद आधे से ज्यादा लोगों में भी इम्युनिटी डिवेलप होती है तो वह वैक्सीन सफल है।
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