हेम शर्मा, प्रधान संपादक
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27 June 2022 03:07 PM
बीते 5-6 महीनों में बीकानेर की कायापलट हो चुकी है। शहर में जगह-जगह अतिक्रमण हटने से जनत राहत महसूस कर रही है। यातायात व्यवस्था में भी बहुत सुधार आया है, इसके चलते शहर की सड़कें भी चौड़ी हो गई हैं, वगैरह-वगैरह। भले ही ये बदलाव अच्छे हों लेकिन ये कई सवालों को भी जन्म देते हैं. सवाल यह कि आख़िर अब से पहले ये काम क्यों नहीं हुए? आख़िर क्यों नए संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन और कलक्टर भगवती प्रसाद के आने के बाद निगम, न्यास और पुलिस इतनी सक्रिय हुई है? संभाग मुख्यालय में प्रशासन की इतनी ढिलाई क्या साबित करती है?
बीकानेर में जो अभी हो रहा है, वो पहले कभी नहीं हुआ। यातायात सुधारने के लिए यातायात पुलिस का पूरा महकमा है। केईएम रोड की माकूल यातायात व्यवस्था यह साबित करने के लिए काफी है कि अब से पहले यह महकमा नकारा ही रहा। नगर निगम का लवाजमा, इंस्पेक्टरों की फौज और आयुक्त सब नाकारा ही हुए ना? सच तो यह है कि इंस्पेक्टर, इंजीनियर, सीआई यातायात का काम ख़ुद कमिश्नर-कलक्टर कर रहे हैं। इनकी सक्रियता और पहल से व्यवस्था में सुधार के प्रयास हो रहे हैं। दरअसल यह जिनकी जिम्मेदारी है वे वाकई गैर जिम्मेदार रहे हैं। हालत यह हो गई है कि निगम, न्यास, यातायात ,स्वास्थ्य सेवाएं और अन्य नागरिक समस्याएं लेकर लोग कमिश्नर कलक्टर के पास जाने लगे हैं।
दरअसल नागरिक सेवाओं के अधिकारी या तो नेताओं के पिछलग्गू रहे हैं या फिर उनकी काम करने की इच्छाशक्ति नहीं है। यही वजह है कि सुधार के काम अब से पहले तक नहीं हुए हैं। कई अफसर तो नेताओं और मंत्रियों की हाज़री भरना मात्र ही अपनी ड्यूटी की इतिश्री मानते हैं। जनता और जन समस्याएं जाए भाड़ में। ऐसे में शहर के प्रमुख सर्कल्स का स्वरूप उनके रहते कैसे निखर सकता है? केईएम रोड का यातायात और रेलवे क्रॉसिंग समस्या से जनता को कैसे निजात पा सकती है?
ज़िला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल शहर के मुख्य मार्गों के चौराहों और तिराहों पर न्यास अध्यक्ष की हैसियत से ध्यान दे रहे हैं। 30 सर्किलों का चिन्हीकरण किया गया है। बीकानेर शहर सौंदर्यकरण भी मांगता है। राजधानी जयपुर को छोड़ दें तो जोधपुर संभाग मुख्यालय, कोटा, उदयपुर, अजमेर की तुलना में बीकानेर बहुत पीछे हैं। हमारे जनप्रतिनिधियों को धारीवाल, गहलोत और सीपीजोशी से सीखना चाहिए। ये तो इन अधिकारियों को शाबाशी कि वे अपने अधिकारों के बलबूते, जो हो सकता है वो कर रहे हैं। वर्ना जनता समझती है कि किस नेता ने अब तक बजट घोषणा और सरकारी योजनाओं को छोड़कर क्या पहल की है?
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