हेम शर्मा, प्रधान संपादक
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04 June 2022 12:21 PM
बीकानेर गोधन बाहुल्य वाला क्षेत्र है। राठी नस्ल की गायें यहां बड़ी तादाद में पाई जाती है। गोबर गोमूत्र का गोपालकों को पैसा मिले, इसके लिए राजस्थान सरकार, राजस्थान पशु चिकित्सा व पशु विज्ञान विवि और राजस्थान गो सेवा परिषद के मंच से बीकानेर ज़िले के हर गांव से 2-2 लोगों को चुनकर वेटरनरी विश्वविद्यालय में गोबर-गौमूत्र के जैविक उत्पादों के प्रसंस्करण प्रशिक्षण दिए जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। कृषि उप निदेशक ने 3 जून को एक बैठक में कृषि पर्यवेक्षकों से हर गांव के 2-2 इच्छुक प्रशिक्षणार्थियों की सूची मांगी है। कृषि, पशुपालन, आत्मा, महिला बाल विकास, नाबार्ड, वेटरनरी विवि,कृषि विवि, उद्यानिकी विभागों के प्रभारी अधिकारियों ने इस प्रशिक्षण की जिम्मेदारी ली है।
देश और राजस्थान में गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने का बीकानेर जिले के हर गांव उत्पादन केंद्र खोलने का यह पहला काम हो रहा है। इससे रसायनिक खेती का विकल्प तैयार होगा। गोबर-गोमूत्र का गोपालक को पैसा मिल सकेगा। रोजगार के गांव-गांव में नए आयाम स्थापित हो सकेंगे। इस मुद्दे पर धरातल पर काम शुरू कर दिया गया है। संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के. पवन ने इस दिशा में काम करने वाली इकाइयों को एक मंच पर लाकर काम को दिशा दी है। उन्होंने कहा कि
"गोबर-गोमूत्र प्रसंस्करण प्रशिक्षण एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। बीकानेर संभाग को इसके लिए एक मॉडल स्वरूप में विकसित करने के लिए ग्रामीण स्तर पर गौ उत्पादों के जैविक प्रसंस्करण कार्यों के लिए युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसकी रूपरेखा विभागों के समक्ष रखी। बीकानेर जिले के 9 ब्लॉक में यह प्रशिक्षण होंगे। जिसमें वेटरनरी विश्वविद्यालय के साथ-साथ नाबार्ड, कृषि एवं पशुपाल विभाग सहयोगी रहेंगे।"
प्रो. ए. के. गहलोत की राय थी कि
"गांवों में गोबर एवं गोमूत्र पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। ग्रामीण युवाओं के प्रशिक्षण के बाद इसका समुचित उपयोग हो सकेगा। जिससे पशुपालकों को आर्थिक फायदा पहुंचेगा।"
वहीं वेटरनरी विवि के कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने कहा कि
"पशुपालकों की हितार्थ यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिससे सभी विभागों के सहयोग से ग्राम स्तर पर इसका क्रियान्वयन किया जाएगा।"
वेटरनरी प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. राजेश कुमार धूड़िया, एस.के.आर.ए.यू. के निदेशक अनुसंधान प्रो. पी.एस. शेखावत, निदेशक प्रसार शिक्षा प्रो. सुभाष चन्द्र बलोदा, नाबार्ड के रमेश तांबिया, पशुपालन विभाग के डॉ. वीरेन्द्र नेत्रा, कृषि विभाग के डॉ. कैलाश चौधरी, राजस्थान गौ सेवा परिषद के अध्यक्ष हेम शर्मा, उपाध्यक्ष अरविंद मिढ्ढा सहित राजुवास के वित्त नियंत्रक प्रतापसिंह पूनिया, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. एस.सी. गोस्वामी, निदेशक अनुसंधान प्रो. हेमन्त दाधीच, परीक्षा नियंत्रक प्रो. उर्मिला पानू, निदेशक मानव संसाधन विकास प्रो. बी.एन. श्रृंगी, निदेशक क्लिनिक्स प्रो. जी.एस. मेहता ने गोबर गोमूत्र प्रसंस्करण की अवधारणा को समझा।
राजस्थान गो सेवा परिषद और विवि के बीच इस मुद्दे पर एमओयू के तहत यह प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। परिषद ने गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने के लिए सरकार नीति बनाने का अभियान चला रखा है। इस मुद्दे पर राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय कई सम्मेलन भी आयोजित किए गए हैं। परिणाम अब आने हैं। गांव-गांव में वैज्ञानिक विधि से खाद और कीट नियंत्रक उत्पादन केंद्र भविष्य में चालू होने वाले है।
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