हेम शर्मा, प्रधान संपादक
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09 December 2020 11:19 AM
राजस्थान के 21 जिलों में जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव नतीजे आ चुके हैं। जिनमें बीजेपी ने 13 जिला परिषदों में बढ़त हासिल की है, जबकि कांग्रेस पांच जिला परिषदों तक ही सिमट कर रह गई. इन 21 जिलों की 222 पंचायत समितियों में भी बीजेपी का पलड़ा भारी रहा है. माना जा रहा था कि इन चुनावों में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहेगी, लेकिन नतीजों ने सारे होने से इनकार कर दिया.
जहां एक तरफ राज्य में बीजेपी का बोलबाला रहा, वहीं बीकानेर ज़िले में बीजेपी की बोलती बंद हो गई. यहां के पंचायत चुनावों में कांग्रेस ने हर स्तर पर बढ़त हासिल की है. कांग्रेस के मंत्री भंवर सिंह भाटी और विधायक गोविंद मेघवाल ने पार्टी और जनता के बीच अपनी साख बढ़ाई है। ये उनके राजनीतिक भविष्य के लिए शुभ संकेत ही हैं। वहीं बीजेपी का नेतृत्व संभाल रहे नेता राज्य के परिणामों के बनिस्बत अयोग्य साबित हो गए।
प्रदेश में ग्रामीण बीकानेर के मतदाताओं ने अशोक गहलोत सरकार पर भरोसा जताया है। बीकानेर में कांग्रेस पार्टी पिछले चुनाव की तुलना में बेहतर स्थिति में आई है। कुल 9 पंचायत समितियों औऱ जिला परिषद में कांग्रेस की बढ़त रही है। जिला प्रमुख कांग्रेस का बनना तय है। वहीं 9 पंचायत समितियों में सवार्धिक प्रधान कांग्रेस के ही बनेंगे। इसका श्रेय भँवर सिंह भाटी और गोविंद मेघवाल को जाएगा। जिला परिषद पर विशुद्ध रूप से कांग्रेस काबिज है। कुल 9 पंचायत समितियों में से भाजपा को एक पंचायत समिति में बहुत मिला है। बीजेपी विधायक सुमित गोदारा पार्टी में हीरो बने हैं। पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल पार्टी की सत्ता का फायदा नहीं ले पाए। भाजपा के युवा विधायक गोदारा ने अपना राजनीतिक कौशल साबित कर दिया है।डूंगरगढ़ में तारा चन्द सारस्वत फिसड्डी रहे। उनका देहात अध्यक्ष होने पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। देहात में भाजपा हर स्तर पर पिछड़ी है। इसकी जिम्मेदारी सांसद, विधायक से ज्यादा देहात अध्यक्ष को जाती है। अध्यक्ष का संगठन में कोई प्रभाव साबित नहीं हो सका है। मंगला राम गोदारा उनके विधानसभा क्षेत्र में प्रभावी रहे हैं। भाजपा की तुलना तो माकपा भी ठीक स्थिति में रही। कांग्रेस से रामेश्वर डूडी, भाजपा के बिहारी विश्नोई बराबर रहकर अपनी साख बरकरार रख पाए हैं। देवी सिंह भाटी निष्क्रिय रहे या कुछ नहीं कर पाए। सांसद अर्जुन राम मेघवाल को नीचे देखना पड़ा।
खैर, जो भी हुआ लेकिन कांग्रेस का अच्छा हुआ। पार्टी के भीतरी संकट के बाद विश्वास बढ़ना पार्टी के लिए अच्छा संकेत है। पंचायत समिति की 9 सीटों में से 4 में कांग्रेस का स्पष्ट बहुमत है। भाजपा मात्र एक सीट पर स्पष्ट बहुमत में है। 4 सीटों पर भाजपा कांग्रेस बराबर की स्थिति में इन सीटों पर अन्यों का झुकाव कांग्रेस की तरफ बताया जा रहा है। इससे स्प्ष्ट है पंचायत राज में भाजपा ने अपनी पैठ खो दी है। जिम्मेदार नेताओं की राजनीतिक भूमिका पर यह बड़ा सवाल है।
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