हेम शर्मा, प्रधान संपादक
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29 January 2023 12:36 PM
भगवान न करे कि आपको किसी भी अस्पताल में जाना पड़े। फिर भी स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकता के लिए अगर आपको पीबीएम परिसर स्थित मूलचंद हल्दीराम हृदय रोग अस्पताल जाना पड़ जाये तो सावधानी रखिएगा। क्योंकि वहां कुछ डॉक्टर्स-नर्सेज का ऐसा कॉकस है जो आपसे एक काग़ज़ के टुकड़े पर लिखकर (अस्पताल की पर्ची पर नहीं) बाज़ार से दवा मंगवा लेगा। यहां 2 बातें ध्यान रखने की हैं। पहली बात यह कि सादे काग़ज़ पर पर्ची बननी ही नहीं चाहिए, और दूसरी बात यह कि अगर बनेगी तो डॉक्टर की चिट पर बनेगी। जबकि कुछ डॉक्टर्स ऐसा इसलिये करते हैं ताकि चिट पर दवा लिखकर क़रीब 50 फीसदी कमीशन हथिया सके।
हार्ट की इस हॉस्पिटल में मरीज़ अमूमन इमरजेंसी की हालत में पहुंचते हैं। ऐसे में ऐसे डॉक्टर्स सबसे पहले घबराये हुए उन मरीज़ों को सादे कागज पर मंहगी दवाई लिखकर चिट थमा देते हैं। उसके बाद ही इलाज शुरु करते हैं। अक्सर देर शाम और रात की पारी में कमीशनखोरी का यह खेल चलता है। यही नहीं, ट्रोपोनिन जांच करवाने के लिए मरीज़ों को एक निजी अस्पताल में भेजा जाता है। कमीशनखोरी के इस खेल में कुछ नर्सिंग स्टाफ भी शामिल होता है, जो ऐसे डॉक्टर्स की सलाह पर 'Dilitizeen' जैसे इंजेक्शन चिट पर लिखकर बाहर से मंगवाते हैं। इसकी क़ीमत क़रीब 1900 रूपये बताई जाती है। यह चिट भी रोगियों की स्थिति भांप कर लिखी जाती है ताकि किसी तरह का हल्ला न हो।
उपरोक्त बात राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी, पीबीएम हॉस्पिटल, बीकानेर के चेयरपर्सन संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के. पवन के संज्ञान में लाई गई है। वैसे, राजस्थान सरकार ने अपने प्रदेशवासियों के लिए अस्पतालों में 'मुख्यमंत्री नि:शुल्क निरोगी राजस्थान योजना' के तहत निशुल्क दवा और इलाज की व्यवस्था कर रखी है। लेकिन हाय री व्यवस्था ! धरातल पर इस योजना में कई कॉकस बने हैं और कई विसंगतियां भी। विडंबना की बात है कि अस्पताल प्रशासन, मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। मूलचंद हल्दीराम हृदय रोग अस्पताल की कार्य प्रणाली और कॉकस को लेकर पहले भी कई बार मुद्दा उठा है। यहां व्यवस्था पर निगरानी और सुधार की ख़ासी गुंजाइश है। नहीं तो राजस्थान सरकार के 'निशुल्क इलाज और दवा' की यह योजना सिर्फ नारों और घोषणाओं में ही सिमट कर रह जाएगी। हाल ही में बीकानेर के एक निजी अस्पताल में 'मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना' को लेकर हुआ हंगामा इसका प्रमाण है। मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी से उम्मीद है कि वो इस व्यवस्था में सुधार करेगी। तब तक के लिए मूलचंद हल्दीराम अस्पताल जाएं तो जरा संभलकर..
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