सुमित शर्मा, संपादक
khabarupdateofficial@gmail.com
27 February 2021 10:30 PM
शनिवार को बीकानेर के डूंगरगढ़ की आबो-हवा में सियासत घुली थी. धनेरू गांव में किसानी/सियासी मजमा जमा था. हजारों की भीड़ उमड़ी थी. मंच सजा था. मौक़ा था- किसान सम्मेलन. अचानक आवाज़ आने लगी- 'घर्रर्रर्रर्र.....' हवा में तैरता एक हेलिकॉप्टर दिखाई पड़ा. कई दर्जनों आंखें आसमां की तरफ देखने लगी. हेलीकॉप्टर एक था लेकिन देखने वालों के नज़रिये अनेक. उम्मीद, गरज, विश्वास और सियासत भी. लेकिन जब हेलीकॉप्टर 'ज़मीन' पर उतरा, तो सब हैरान रह गए. क्योंकि सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट दोनों एक ही हेलीकॉप्टर में आए थे. यानी कुछ वक्फे पहिले उखड़ी-बिखरी सरकार आज 'एक साथ' थी. 12 फरवरी को हनुमानगढ़ के किसान महापंचायत में सचिन पायलट साइडलाइन थे लेकिन 27 फरवरी को सचिन फ्रंटलाइन हो गए. यूं तो इस सम्मेलन में और भी कांग्रेसी सियासतदां थे, अजय माकन, बीडी कल्ला, गोविंद सिंह डोटासरा, भंवर सिंह भाटी, वीरेन्द्र बेनीवाल, विधायक भंवर लाल शर्मा, गजेंद्र सांखला वगैरह-वगैरह. लेकिन जहां पायलट हो, वहां तो ''सचिन...सचिन..' ही होता है. आख़िर पायलट 'सचिन' जो ठहरे.
खैर, काफिला आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ता है. जयकारे गूंजने लगते है, और हां, सियासी सितारों की चमक से मंच थोड़ा और ख़ूबसूरत दिखने लगता है. उमंग, उत्साह का माहौल बनता है. कांग्रेस और किसान आंदोलन के समर्थन में झंडे ऊंचे दिखने लगते हैं. 'हाउझूझू' जनता कभी इधर देखती है, कभी उधर. तभी इस तरफ से आवाज़ आती है- "अशोक गहलोत" दूसरी तरफ से आवाज़ आती है "जिंदाबाद." और इसी 'ज़िंदाबाद' के नारे के साथ ही सामने से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आवाज़ सुनाई पड़ने लगती है. गहलोत संबोधित करते दिखते हैं
"राजस्थान सरकार आमजन की सरकार हैं। इस सरकार ने जनता के लिये दिल खोलकर काम किया है. हमने कोरोना का डटकर मुकाबला किया, किसी को भी भूखा नहीं सोने दिया, मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं दिलाईं. आज राजस्थान करीब-करीब कोरोना मुक्त है और नये केस भी कम आ रहे हैं."
इसी 'किसान सम्मलेन' में चूरू जिले के सुजानगढ़ से आया एक बुजुर्ग गर्मी से परेशान होकर अख़बार से हवा ले रहा था. अख़बार तो कौनसा था, नामालूम । लेकिन पास बैठा एक बेरोजगार उसकी हेडलाइन पर मंद-मंद मुस्कुरा रहा था, लिखा था- "देश में धीरे-धीरे फैल रही है कोरोना की दूसरी लहर." तभी गहलोत की बुलंद लहजे में आवाज़ गूंजती है, "...इसके बावजूद हमें कोरोना प्रोटोकॉल रखना है."
सीएम अशोक आगे बोलते हैं
"सरकारें कभी जिद नहीं करतीं. प्रजातंत्र में मुखिया को जिद नहीं करनी चाहिए. केंद्रीय सरकार एक प्रजातांत्रिक सरकार है और उसे किसानों की बात पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए समाधान निकालना चाहिए. लोकतंत्र में धरना प्रदर्शन करना भी एक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है लेकिन वर्तमान परिस्थिति में केंद्र सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा रही है. सरकार को जिद छोड़कर, आगे आकर धरने पर बैठे किसानों से वार्ता करनी चाहिए."
एक पल के ठहराव के बाद मुख्यमंत्री फिर गरजे कि
"इस किसान आंदोलन को लेकर सरकार के रवैये से दुनिया भर में भारत की छवि प्रभावित हो रही है. कहा जा रहा है कि लोकतंत्र की धज्जिया उड़ रही हैं, लोकतंत्र कमजोर हो रहा है. लोकतंत्र में सरकार को जिद पर नहीं अड़ना चाहिए. सरकार को उदारता दिखानी चाहिए और संवेदनशील होना चाहिए, मोदी व अमित शाह को रात को नींद कैसी आती होगी, यह समझ के परे है."
इसके बाद गहलोत ने यूनीवर्सल हैल्थ कवरेज, चिकित्सा बीमा सुविधा, आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना के एनएफएसए. एवं एसईसीसी. परिवारों के साथ-साथ समस्त संविदाकर्मीयों, लघु एवं सीमान्त किसानों संबंधी कई बड़ी-बड़ी बातें कहीं. और हां, आखिर में जाते-जाते किसानों को इस साल 16 हजार करोड़ का ब्याज मुक्त फसली कर्ज देने की बात भी कह डाली.
अपने इस संबोधन से सीएम गहलोत ने 3 जिलों के किसानों को भी लुभाने की कोशिश की, तो वहीं सुजानगढ़ के उपचुनावों के लिए वोटर्स को साधने की कोशिश भी की. सियासत के 'जादूगर' अशोक गहलोत ने हजारों की भीड़ के सामने बड़ी 'जादूगरी' से एक के बाद एक कई तीर निशाने पर लगाए और अपनी वाणी को विराम देकर मंचासीन हो गए. पूरा इलाका एक बार फिर से "अशोक गहलोत जिंदाबाद" के नारों से गूंज गया.
इस कड़ी में एक के बाद एक पूर्व केन्द्रिय मंत्री अजय माकन, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी मंत्री डॉ बी डी कल्ला , उच्च शिक्षा मंत्री भंवरसिंह भाटी और गोविंद सिंह डोटासरा ने भी अपनी बात रखी. लेकिन जो 'जादूगरी' गहलोत ने दिखाई, बाकी सब फीके ही रह गए. किसान सम्मेलन को महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री ममता भूपेश, विधायक गोविन्द मेघवाल, विधायक कृष्णा पूनिया, विधायक नरेन्द्र बुढ़ानिया, मनोज मेघवाल, अख्तर शमीम, सोना देवी बावरी, सूरजाराम ढ़ाका, इदरीश गौरी, भंवर पुजारी आदि ने तीन कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग में 'हां' में 'हां' जरूर मिलाई.
जाने का वक़्त हो रहा था, इस कार्यक्रम के बाद अगले पड़ाव पर भी तो जाना था. हेलीकॉप्टर उड़ने को तैयार खड़ा था. गहलोत ने हाथ उठाकर अभिवादन किया और हेलीकॉप्टर 'घर्रर्रर्रर्र.....' की आवाज़ उड़ान भरने लगा. गहलोत 'हवा-हवाई' हो रहे थे. कई दर्जनों आंखें फिर से आसमां की तरफ देख रही थीं.
RELATED ARTICLES
28 June 2022 07:00 PM
27 June 2022 03:07 PM
22 June 2022 03:22 PM
22 June 2022 11:19 AM