हेम शर्मा, प्रधान संपादक
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22 August 2021 07:04 PM
बीकानेर में भाजपा के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह के सामने पार्टी के ही लोगों ने बीकानेर सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को टारगेट करके उनकी छवि ख़राब करने की जो कोशिश हुई है, वह न तो राजनीति में लोकतंत्र को आगे बढ़ाता है और न ही राजनीति की कोई स्वच्छ परम्परा कायम करता है। इसे रुपयों के बल पर राजनीति में विकृतियों को बढ़ावा देने का दुष्कृत्य ज़रूर कहा जा सकता है। इसके पीछे राजनीति करने वाले लोगों के निहितार्थ है। इस बात को बीकानेर के लोग भी बहुत बारीकी से समझते हैं। आइये, आज के 'विमर्श' में इसी विषय पर मंथन करते हैं।
बीकानेर में राजनीति करने वाले लोगों के राजनीतिक जीवन का विश्लेषण करें तो अपनी-अपनी दृष्टि से उनकी ख़ूबियों और खामियों की फेहरिस्त बनाई जा सकती है। अर्जुन राम के विरोधी चाहे तो कमियों की सूची बना सकते हैं लेकिन उनकी ख़ूबियों को नज़रअंदाज कर देना भी न्याय नहीं होगा। मेघवाल सांसद की भूमिका बेहतरीन ढंग से निभा भी रहे हैं। यही मेघवाल केंद्र में बीकानेर की आवाज़ भी तो बनते हैं। वो अपने क्षेत्र के प्रति दायित्वों का निर्वाह भी तो करते हैं। मेघवाल से मिलने वाला हर कोई भांप सकता है कि वो ज़मीन से जुड़े व्यक्ति हैं, जो जन-मानस की परेशानियों को महसूस करते हैं।
और रही कमियों की बात तो उनके विरोधियों को समझना चाहिए कि कमियां इंसानों में ही होती है। वो कोई देवता नहीं हैं जिनमें एक भी कमी न हो। ऐसे में उनकी ही पार्टी के लोगों के द्वारा उनके साथ ऐसा बर्ताव क्यों? मेघवाल के लिए राजनीतिक गड्ढे खोदने वाले उनकी पार्टी के लोग ज़रा अपने गिरेबां में भी तो झांक कर देखें। अगर वो अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं का विश्लेषण कर लें तो उनको निराशा ही हाथ लगेगी। ये पूरा विरोध मेघवाल को लक्ष्य करके किया गया। ऐसे लोग न तो बीजेपी का भला कर सकते हैं और न लोकतंत्र और राजनीति का। इनको ऐसा करके कुछ हासिल भी न होगा. ये सिर्फ राजनीति में विकृतियां पैदा करने का ही काम करेंगे।
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