हेम शर्मा, प्रधान संपादक
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21 April 2022 01:29 PM
अन्तत गोबर गोमूत्र वैज्ञानिक सिद्ध ऊर्जा का सतत स्त्रोत है। गाय शहर में पालने का नया कानून अव्यवहारिक है। गोबर गोमूत्र का समुचित उपयोग की सरकार नीति बना दें तो कानून के तहत जो समाधान सरकार चाहती है स्वत: ही हो जाएगा। ऐसा करके देखा जा सकता है। गोबर गोमूत्र से ही धरती का पोषण, टिकाऊ खेती, पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती हो सकती है। मानव स्वास्थ्य, प्रकृति पोषण समेत गो प्रकृति और संस्कृति से जुड़े 18 बिंदुओं पर पिछले 15 वर्षों से काम चल रहा है। मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत जो आप बोलते और सोचते हो केवल वो ही अच्छा नहीं है। समाज में सरकार और आप जैसे और लोग भी हितकर सोचने वाले हैं। सरकार उस तरफ भी जरा ध्यान दें। यह उम्मीद आपसे ही की जा सकती है। आप में जनहित का सोच हैं। भले ही उसके पीछे दृष्टि राजनीतिक फायदे की क्यों न हो। जनता का हित तो है ही। गोबर गोमूत्र के समुचित उपयोग की राज्य सरकार नीति बनाए। फिर यह नया कानून लागू करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
गो धन की उपादेयता पर काम करने वाले 78 वर्षीय शंकर लाल जी गोधन से जुड़े जीवंत मुद्दों को लेकर कई बार देश का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने मीडिया हाउस खबर अपडेट ऑफिस में राजस्थान गो सेवा परिषद के पदाधिकारियों के साथ विमर्श कार्यक्रम में बताया कि रसायनिक खाद का विकल्प गोबर खाद बनाने के प्लांट देश में कुछेक स्थानों पर लगने शुरू हो गए हैं। कार्बन रहित ऊर्जा, विष मुक्त खेती, पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ खेती का विकल्प गोबर और गोमूत्र ही हैं। तकनीक के साथ व्यवस्था इस तरफ डायवर्ट होने लगी है। समय का तकाजा है कि ऊर्जा के सतत स्त्रोत गोबर गोमूत्र को विकल्प के रूप में अपनाना पड़ेगा। विमर्श कार्यक्रम में सरकार की ओर से गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने और गोपालक़ को गोबर गोमूत्र का पैसा दिलाने की नीति बनाकर प्रोत्साहन के मुद्दे पर उनकी सलाह थी कि ऐसा होना ही चाहिए लोग भी खुद आगे आएं। विमर्श के दौरान उन्होंने देशभर में इस दिशा पर चल रहे कार्यों का विवरण दिया।
राजस्थान सरकार गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक वैज्ञानिक विधि से बनाने, विपणन करने और कृषि कार्य में गांव गांव में अनिवार्य उपयोग का प्रावधान कर, नया रोजगार क्षेत्र सृजित कर सकेगी। वहीं खेती की लागत कम हो सकेगी। गोपालन गोबर गोमूत्र के उपयोग से फायदे का सौदा हो सकेगा। रसायनिक खेती का दुष्प्रभाव काम होगा। जैविक उत्पाद मिलेंगे। नए कानून की जरूरत ही नहीं रहेगी क्योंकि गोबर गोमूत्र की कीमत हो जाने से लोग गोधन को घर से बाहर नहीं निकलेंगे। नीति बनाकर देखो सरकार।
विमर्श में पूर्व महापौर नारायण चोपड़ा, प्रो. विमला दुकवाल,महेंद्र मोदी, अजय पुरोहित, गजेंद्र सांखला, अरविंद मिढ़ा, मन्नू बाबू सेवग, राजेश बिनानी आदि लोग थे।
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