सुमित शर्मा, संपादक
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05 January 2022 05:04 AM
बीकानेर में सोमवार की शाम, हमेशा की शामों की तरह थी. वही गुलाबी सर्दी, फिजाओं में वही बेफिक्री. अलमस्त लोगों के जेहन से नए साल की मस्ती भी न उतरी थी कि यहां कुछ ऐसा हुआ, जिसने शहर की शांति पर मानो ग्रहण लगा दिया। शहर के सीने पर कुछ दहशतगर्दों ने सरेआम ऐसा तांडव मचाया कि पूरा शहर कांप उठा. ख़बर मिलती है कि यहां के अंबेडकर सर्किल पर 10-12 बदमाश एक युवक को बेरहमी से पीट रहे हैं. बेखौफ गुंडों की हिम्मत ऐसी कि पहले तो युवक के पैर में गोली मारी, फिर उस पर लाठियों और तलवारों से हमला कर दिया. देखते ही देखते मौक़े पर भीड़ जमा हो गई लेकिन क्या मजाल कि कोई उस युवक को तलवारें थामे उन दहशतगर्दों से छुड़ा ले. ये बदमाश उस युवक को तब तक पीटते रहे, जब तक उनका मन नही भर गया और जब मन भर गया तो बेखौफ होकर भीड़ को चीरते हुए निकलते बने। जिसके बाद लोगों ने ज़ख़्मी युवक को उठाया और उसे पास के पीबीएम अस्पताल में भर्ती करवाया. युवक का नाम तेजस्वी गहलोत है, जो समय पर इलाज मिलने के चलते फिलहाल ख़तरे से बाहर है.
बहरहाल, मौक़ा-ए-वारदात पर पुलिस पहुंचती है और फिर सामने आती है- हमले की असली वजह. बताया जाता है कि तेजस्वी के परिवारवालों ने आरोपी पक्ष को एक दुकान किराये पर दे रखी थी. जिसके किराए और खाली कराने को लेकर कुछ दिन पहले ही तेजस्वी की आरोपी पक्ष से कहासुनी हुई थी. इस वारदात को उसी कहासुनी का नतीजा बताया जा रहा है. ये कहासुनी, जब ख़ूनी वारदात में बदली तो ये मामला फिर से हरा हो गया था. और ये हरा रंग भी तब और गहरा हो गया जब इस घटना का वीडियो वायरल हुआ. रात गहराते-गहराते आपसी रंजिश का यह मामला हिंदू-मुस्लिम के झगड़े में रंग गया. बातें फैलने लगी कि कुछ मुस्लिम लड़कों ने सरेराह एक हिंदू लड़के को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया.
खैर, तेजस्वी पर अटैक से लोग आक्रोशित थे. आलम यह था कि वारदात की अगली सुबह से ही शहर में भीड़ जुटनी शुरु हो गई. जिसे देखते हुए पुलिस बल भी तैनात कर दिया गया और देखते ही देखते कोटगेट छावनी में तब्दील हो गया। नाराज़ लोगों की एक ही मांग थी कि "बदमाशों को फौरन गिरफ्तार करो". प्रदर्शनकारियों ने बाज़ार तक न खुलने दिया और इस तरह बीकानेर एक दिन के लिए बंद हो गया. इस मामले में सांप्रदायिकता का ऐसा रंग चढ़ा कि बीकानेर जैसे शांत शहर में 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' के नारे लगने लगे. प्रदर्शनकारियों का दाऊजी रोड़, कसाइयों की बारी क्षेत्र के निवासियों से झगड़ा हो गया। दोनों ने एक-दूसरे पर ख़ूब पत्थर मारे, मामला ज़्यादा न बढ़ जाए, इसके लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ गया. उधर कई सियासतदां इस मामले में कूद पड़े. विरोध रैली तक का ऐलान हो गया. देखते ही देखते नेशनल मीडिया तक भी तेजस्वी प्रकरण की सुर्खियां उछलने लगीं.
इस तरह पुलिस पर भयंकर प्रेशर था. ज़िला कलेक्टर ने भी यह आश्वासन दे दिया कि कुछ भी हो जाए लेकिन बदमाशों को बख्शा नहीं जाएगा. जिसके बाद पुलिस ने बदमाशों को पकड़ने में पुरज़ोर ताक़त झोंक दी. नतीजा यह हुआ कि फकत 24 घंटों के कालखंड में 2 जनों को धर दबोचा गया. वहीं इस मामले में नामजद आरोपी मौहम्मद गुल, मोहम्मद सदिक, साजिद, इरफान, शाहरुख, सिकन्दर को पकड़ने के लिए पुलिस की टीमें जुटी हुई हैं। ये पूरा घटनाक्रम 24 घंटों के अंतराल का है. कैसे एक शांत शहर में खौफनाक वारदात हुई, प्रदर्शन हुआ और फिर कुछ ही घंटों में गिरफ्तारियां भी हो गईं..और देखते ही देखते 24 घंटों की अवधि में ही बीकानेर से शांत शहर का तमगा भी छिन गया. मानो इस शहर को किसी की काली नज़र लग गई हो.
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