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10 February 2023 05:07 PM
भारत वेद, वेदांत, श्रीमद् भागवत गीता और रामायण की परंपरा से ओत-प्रोत जन जीवन वाला राष्ट्र है। यहां का संत-समाज हमारी संस्कृति और अध्यात्मिक परम्पराओं का संवाहक है। बीकानेर में इन दिनों नगर कीर्तन प्रभात फेरी निकलती है। इसके अंतर्गत साधु-संत पुराने शहर, गंगाशहर और भीनासर में घूमते हुए मीरा, सूरदास और कबीर के भजन गाते नज़र आते हैं। उनके भजनों में भक्ति होती है तो कई बार चेतावनी भी। अलसुबह की यह अध्यात्मिक चेतावनी में हम इंसानों को संदेश होता है कि हम परमब्रह्म परमेश्वर का भजने करें। संतों का राग ऐसा कि उनके भजन सुनकर हर कोई भावविह्वल हो जाये।
प्रभात फेरी में भजन गाने वाले संत-महात्मा कहते हैं कि यह प्रभात फेरी और नगर कीर्तन शहर में सुख-शांति की भावना से निकाली जा रही है। साथ में 18 फरवरी से पांच कुंडी विष्णु, लक्ष्मी हवन भंडारा का बीकानेर नगर वासियों को आह्वान भी है। शांति यज्ञ तथा भंडारा श्री हरि विष्णु देवानंद गिरी और संत मंडली की ओर से किया जा रहा। बीकानेर में इस दूसरे पांच कुंडी यज्ञ के अलावा महा शिव रात्रि शिव भोग भी 18 फरवरी को होगा।
संत समागम और आध्यात्मिक आयोजन से सामाजिक जीवन में एकरूपता से आए ठहराव टूटता है। आस्थावान लोगों में उत्साह का भाव संचार होने से भक्तिमय वातावरण बनता है। यह भारतीय जीवन संस्कृति की विशेषता है। त्रयम्बकेश्वर नासिक महाराष्ट्र से आई संत मंडली नत्थूसर गेट के बाहर नाथ जी का धोरा पर बिराज रही है। संत तो आशीर्वाद ही दे सकते हैं और समाज में सकारात्मक ऊर्जा ही देते हैं। यज्ञ, पूजा, प्रभात फेरी, नगर कीर्तन तो सद्भाव जागृत करने के तरीके हैं। नगरों में सुख शांति बनी रहे। यही हमारी जीवन संस्कृति है। संत-समाज इसी तरह इसके संवाहक बने रहे। यज्ञ, कथा, प्रवचन, संत सम्मेलन भी आज के समाज की ज़रुरत है। कई मायनों में..
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