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23 April 2022 05:41 PM
वैसे तो क़रीब डेढ़ साल बाद राजस्थान में चुनाव हैं लेकिन उसमें अपनी भूमिकाओं को लेकर ज़मीन अभी से तैयार होने लगी है। क्या वसुंधरा और क्या सचिन पायलट और क्या ही दूसरे सीएम पद के उम्मीदवार. सब ख़ुद को औरों से बेहतर बताने की हौड़ में लगे हैं। बीजेपी की बात तो पहले ही कर चुके हैं. कांग्रेस में क्या चल रहा है, यह भी जानना जरुरी है. अब देखिये न- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से एक दिन पहले राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत मिलते हैं, उसके ठीक एक दिन बाद उनके विपरीत ध्रुव के तौर पर देखे जाने वाले सचिन पायलट उनसे मुलाकात करते हैं.
सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद पायलट ने कहा, ‘‘संगठन के दृष्टिकोण, जो काम करना है, पर चर्चा की है. बीजेपी सरकार की दमनकारी नीतियां सबके सामने हैं, ऐसे में आम जन की आवाज बनने पर चर्चा की है. संगठन के चुनाव चल रहे हैं, उस पर भी बातचीत हुई है. पार्टी को मजबूत करने के विषय पर चर्चा पर हुई. रही मेरी जिम्मेदारी की बात तो 22 साल से राजनीति में हूं. पार्टी ने मुझे जब जब कोई जिम्मेदारी दी है, मैंने उसे पूरी निष्ठा से निभाया है. अभी कांग्रेस अध्यक्ष मुझे जो निर्देशित करेंगी उस काम को करूंगा, लेकिन मैं चाहता हूं कि हम राजस्थान में सरकार दोबारा बनाएं."
राजस्थान में सरकार बनाने को लेकर सचिन पायलट ने फिर कहा कि "मैं चाहता हूं कि राजस्थान में हर पांच साल पर सरकार बदलने की दशकों पुरानी परंपरा इस बार टूटे.राजस्थान में पिछले 30 वर्षों से एक परिपाटी है कि एक बार बीजेपी सरकार, एक बार कांग्रेस सरकार. एआईसीसी ने लगभग दो साल पहले जो समिति बनाई थी, उसके माध्यम से हमने सरकार के भीतर कुछ उपयोगी कदम उठाए हैं. उसी पर आगे काम करना है ताकि संगठित होकर 2023 के विधानसभा चुनाव में दोबारा सरकार बना सकें. हमारी अच्छी मुलाकात हुई. मुझे लगता है कि आने वाले समय में मिलकर आगे बढ़ेंगे."
सचिन पायलट की इस बात में ही पूरी कहानी का मर्म छिपा है. सचिन राजस्थान कांग्रेस में बड़ा बदलाव चाहते हैं. जिसके लिए उनकी कवायदें साफ देखी जा सकती हैं. कुछ दिनों पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा से उनकी मुलाकात भी तो यही कहानी कहती है.
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