हेम शर्मा, प्रधान संपादक
khabarupdateofficial@gmail.com
13 May 2022 03:08 PM
केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को 'जैन विश्व भारती संस्थान' का मानद रूप से कुलाधिपति बनाना गया है। इसे एक ग़लत परंपरा की शुरुआत कहें तो ग़लत नहीं होगा. ऐसा होने से एक पक्ष में इस संस्थान की प्रतिष्ठा घटी है। इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि अर्जुन राम मेघवाल कोई छोटे व्यक्ति हैं। बेशक, एक राजनेता के तौर पर और बीजेपी में उनके कार्यों की अपनी साख है। एक व्यक्ति के तौर पर वो समाज के गुणी व्यक्ति हैं। लेकिन कुलाधिपति पद उनके लिए (किसी भी राजनेता) नहीं हैं।
'कुलाधिपति' पद के लिए सब तरह से निरपेक्ष भाव के बड़े विद्वान की छवि फिट होती है। वो व्यक्ति समाज और व्यवस्था में सर्व-स्वीकार्य होना चाहिए। कुलाधिपति के आभा मंडल से ही विश्वविद्यालय की साख बनती है। ऐसे में अर्जुन राम मेघवाल को 'कुलाधिपति' बनाना कई सवालों को खड़ा करता है. पहली बात तो अर्जुन राम मेघवाल भाजपा राजनीतिक दल से जुड़े हैं. दूसरी बात यह कि क्या कांग्रेस से जुड़े विश्वविद्यालय से संबद्ध समाज, विद्यार्थी उन्हें आदर्श कुलाधिपति मान सकेंगे? अगर ऐसा नहीं होता है कि उनको कुलाधिपति बनाने से संस्थान का मान बढ़ेगा नहीं, बल्कि राजनीतिक पूर्वाग्रह का समावेश होगा। समय आने पर संभव है कि कांग्रेस के किसी केंद्रीय मंत्री को भी कुलाधिपति बना दिया जाए।
लाडनूं के जैन विश्व भारती संस्थान ने देश में मानव निर्माण और जीवन मूल्य की शिक्षा देने की जो पहल की है, वो कालांतर में इस तरह से कुलाधिपति बनाने से धूमिल होनी तय है। संस्थान ने अब तलक जो भी अच्छे काम हुए हैं, वे राजनीति के भेंट चढ़ जाएंगे। भले ही अर्जुन राम को मानद रूप से ही यह पद दिया हो, उन्हें निर्णय का कोई अधिकार नहीं हो, लेकिन समाज में इसका अच्छा संदेश नहीं गया है। संस्थान के प्रमुख लोगों को जैन विश्व भारती संस्थान के हित में इस तरह की राजनीतिक वितृष्णा से बचना ही चाहिए। इस निर्णय से अर्जुन राम मेघवाल की तो मान प्रतिष्ठा बढ़ी है लेकिन जैन विश्व भारती संस्थान के लिए इसे कतई अच्छा नहीं कहा जा सकता। जैन विश्व भारती राष्ट्र की धरोहर है। इसका कुलाधिपति भी उसके जैसा ही होना चाहिए।
RELATED ARTICLES
01 June 2023 06:59 PM
29 May 2023 09:45 AM
29 May 2023 08:31 AM
26 May 2023 07:00 PM
google.com, pub-9107207116876939, DIRECT, f08c47fec0942fa0