हेम शर्मा, प्रधान संपादक
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07 May 2022 03:13 PM
लोक कल्याणकारी सरकार जनता का हित सोचती है। जन कल्याण के नाम पर वोटों की राजनीति थोड़े ही करती है ? नि: शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं जिस भावना से सरकार ने शुरू की है वैसा हो कहां पाता है। मानव व चिकित्सकीय संसाधनों की कमी के चलते सरकार की यह जन कल्याण की योजना परेशानी का सबब और कई अवसरों पर पीड़ादायक हो जाती है। राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन से दवाओं की आपूर्ति पर्याप्त नहीं होती। ऐसे में स्थानीय स्तर पर खरीद का प्रावधान है। जो कितना कारगर है कह पाना मुश्किल है।
चिकित्सा सेवा के लिए पूरे राजस्थान में मेडिकल, पैरा मेडिकल, तकनीशियन, हेल्पर जैसे पद कमोबेश आधे रिक्त हैं। वहीं कहीं इको मशीन, सोनोग्राफी और अन्य जांच की मशीन और उपकरण नहीं है। कई मामलों में जहां उपकरण है वहां पर्याप्त तकनीशियन नहीं है। नर्सेज और डाक्टर तो हर जगह कम है ही। एस पी मेडिकल कालेज में सुपर स्पेशलिटी विंग बना है वहां सात विभागों के मानदंड के अनुसार विशेषज्ञ सेवाओं के पूरे डाक्टर ही नहीं है। संबध अस्पतालों में से गंगाशहर स्थित अस्पताल में मेडिकल, पैरा मेडिकल समेत सभी कार्मिकों के 50 पद स्वीकृत हैं। पदों पर भर्ती नहीं हो रही है। मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी यू टी पी ( अर्जेंट टेम्परेरी पोस्ट) के आधार पर भर्ती की अनुमति राज्य सरकार से लेने की अनुशंसा कर समस्या का समाधान कर सकती है।
ऐसे ही डिब्बों में बंद उपकरणों को काम में लेकर सेवाओं में सुधार किया जा सकता है। एस पी मेडिकल कालेज के एनोटोमी में सोनोग्राफी मशीन 2015_ 16 से डिब्बों में बंद पड़ी है। संशाधनो के समुचित उपयोग की नीति से भी नि: शुल्क चिकित्सा सेवाओं की कमियों को सुधारा जा सकता है। मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी की प्रभावी पहल स्वास्थ्य सेवाओं की समस्याओं का हल है।
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