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11 August 2021 04:03 PM
सरेह नथानिया गोचर का मुद्दा अब समाज और देशभर में सार्वजनिक मुद्दों पर काम करने वाली संस्थाएं और लोग मिलकर संभालेंगे। "गोचर और गाय को समाज सँभालेगा" यह अलख जगानी शुरू की गई है। सरकारें इसमें सहयोगी बन सकती हैं। सरेह नथानिया गोचर चारागाह अब राष्ट्रीय मुद्दा बनता जा रहा है । इसी मुद्दे पर ठोस कार्यनीति बनाने के लिए सरेह नथानिया गोचर चारागाह स्थल पर इसी महीने के आख़िरी सप्ताह में एक सभा रखी गई है।
इस सभा में संयुक्त गोचर विकास समिति, देवी सिंह भाटी, बृजनारायण किराडू विभिन्न गोचर से जुड़े प्रतिनिधियों के साथ 'राष्ट्रीय गोचर बचाओ आंदोलन' की रूपरेखा पर विचार होगा। समिति का मानना है कि
राज्य सरकार गोचर, ओरण, जोहड़ पायतन और बहाव क्षेत्र को लेकर कार्यनीति को प्रभावी बनाए। गोचर, ओरण को लेकर उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की सरकार पालना करवाए। गोचर,ओरण हमारी जीवन संस्कृति है। यह पर्यावरण, इकोलॉजी ( पारिस्थितिकी तन्त्र ) के लिए कितना महत्वपूर्ण है, सरकारें इसे समझें और जनता को समझाएं। समिति के गोचर बचाओ' मुद्दे पर राष्ट्रीय सम्मेलन के प्रस्ताव पर विचार होगा। साथ ही पर्यावरण, सार्वजनिक सम्पदा संरक्षण के मुद्दों पर काम करने वाली संस्थाओं और समूहों के साथ भी गोचर और गाय के मुद्दे को व्यापक रूप देने पर विचार किया जा रहा है।
'गोचर बचाओ' राष्ट्रीय आंदोलन के अगुवाई करने वाले देवीसिंह भाटी मानते हैं कि
गोचर और गाय समाज सँभाले इस प्रयास में बड़ी संख्या में लोग जुटने शुरू हुए हैं। भारी जन समर्थन मिला है। गांव-गांव से फोन आ रहे हैं, लोगों का जमावड़ा लगने लगा है. सब यही चाहते हैं कि गोचर का संरक्षण हो। देशभर से ख़ासकर गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हिमाचल और हरियाणा के लोग गोचर संरक्षण के राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े हैं। बृज नारायण किराडू कहते हैं कि सभा में प्रदेश और देश में गोचर या सार्वजनिक भू संपदा कैसे सुरक्षित हो तथा इस मुद्दे का व्यापक असर कैसे हो, इस बात पर विचार किया जाना है। सरेह नथानिया गोचर की दीवार बनने और प्रदेश में बाक़ी जगहों पर गोचर सुरक्षा कैसे हो?, इस पर काम चल रहा है।
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