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27 October 2020 04:14 PM
हाल ही बीकानेर प्रशासन ने 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान के तहत मिलावटखोरी की सूचना देने वालो को 51,000 रुपये ईनाम देने का ऐलान किया था। जिसके पीछे मक़सद बताया गया कि आम आदमी भी इस अभियान में हिस्सेदार बनें। लेकिन कहने में कतई गुरेज नहीं है कि ये फ़क़त एक तरह का 'पम्प एंड शो' लगता है। हर कोई जानता है कि बीकानेर में आए दिन मिलावटी मिठाइयां मिल जाती हैं, फिर ये तो त्योहारी सीजन है। हर दूसरे चोराहे पर मिलावटखोर मिल जाएंगे। लेकिन सवाल यह कि पकड़े कौन? किसी अधिकारी के पास 51 हजार ईनाम के नगद है तो आइए बताते हैं- मिलावटी सामान का बाजार। ज्यादा दूर नहीं, फड़ बाज़ार में ही तलाशी लेकर देख लीजिए। वो भी दूर लगे तो अलसुबह गाड़ियों में भरकर बेचे जानी वाली सिंथेटिक दूध की टंकियों की जांच कर लीजिए। हर घर में मिलावटी दूध पहुंचाया जा रहा है सिर्फ दूध ही नहीं घी, तेल वगैरह में भी मिलावट धड़ल्ले से चलती है। वजह यह कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम की पालना करवाने का जिम्मेदार विभाग आंखे मूंदकर बैठा है।
ज़रा निरोगी राजस्थान अभियान के नाम पर मीटिंग और मीडिया के प्रचार से बाहर निकलकर देखिये। तब आपको दूध और मावा तो खानापूर्ति लगेगा। सेहत से व्यापक स्तर पर खिलवाड़ तो मिठाइयों में कृत्रिम रंग, स्वाद के लिए एसेंस से होता मिल जाएगा। इतना भी न हो सके तो अमानक और अपमिश्रित खाद्यान्न तो हर जगह ही मिल जाएगा। घी मिलावटी, तेल मिलावटी, मसाला, आटा, बेसन और भी बहुत कुछ.. आप ही बताइये कि अब बाकी क्या रह गया है? जाइये और जांच करके मीडिया को बताइये कि ये मिलावट आम आदमी के लिए कितनी ख़तरनाक है। सौ बात की एक बात तो यह है कि राज्य सरकार मिलावट रहित खाद्य सामान आम जन तक पहुंचा ही नहीं पा रही है। खाद्य सुरक्षा अधिनियम की पालना करवाना तो दूर की बात रही। खाने-पीने के मिलावटी सामान से बाज़ार भरे पड़े हैं। नकली मिठाइयों से दुकानें सजी हुई हैं। और आप कहते हैं कि "मिलावटख़ोरी की सूचना देने वालों को 51 हजार रुपये का ईनाम?" क्या आपको या विभाग को नहीं मालूम कि मिलावटख़ोरी कहां-कहां होती है?
मेरा सीधा सवाल है कि आप कितनों को 51 हज़ार का ईनाम देंगे? दूसरा सवाल यह भी कि अगर दोगे तो इस आर्थिक मंदी में इतना बजट कहां से लाएंगे? मेरी मानें तो मिलावटी सामान की सूचना देने वालों को ईनाम देने की बजाय, बगैर मिलावटी सामान दिलाने वाले को वो 51 हजार रोकड़ा ईनाम में दे दीजिए। कम से कम त्योहारी सीजन में शुद्ध मिठाई तो मिलेगी। और मेरी सलाह ठीक न लगे तो मिलावट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करके दिखाइये. असल मायनों में 'शुद्ध के लिए युद्ध' तो वही होगा न?
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