हेम शर्मा, प्रधान संपादक
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01 November 2021 01:04 PM
श्रीकोलायत विधानसभा से भँवर सिंह भाटी ने दिग्गज नेता देवी सिंह भाटी को दूसरी बार हराया तो गहलोत सरकार में उन्हें उच्च शिक्षा मंत्री का ओहदा मिल गया. जिसके बाद भँवर सिंह भाटी ने अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास की ऐसी लकीर खिंची कि वे अशोक गहलोत सरकार के मंत्री और विधायकों के लिए मिसाल बन गए। इतना ही नहीं, भाटी ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को भी जनता के बीच काम करने को मजबूर कर दिया है। ऐसे में उनको अशोक गहलोत सरकार में विकास का 'रोल मॉडल' कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा। आइये, इस आज मुद्दे पर विमर्श करते हैं।
पश्चिमी राजस्थान का पाकिस्तान सीमा से लगा श्रीकोलायत विधानसभा क्षेत्र, जो आजादी के बाद से विकास की राह जोह रहा था। नहर आई तो यहां के कुछ इलाक़ों की कायापलट ज़रूर हुई। इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं में मन्थर गति से काम हुआ लेकिन यह कहना ग़लत नहीं होगा कि अब से पहले तक श्रीकोलायत आधारभूत और नागरिक सुविधाओं के हिसाब से राजस्थान की पिछड़ी और बीकानेर जिले की सबसे उपेक्षित तहसील थी। जब भँवर सिंह भाटी के पास इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व आया तो हौले-हौले विकास होने लगा। बीते दो सालों में श्रीकोलायत विधानसभा क्षेत्र के लिए इतना काम करवाया है कि वे जनता की नज़रों में आ गए।
क्या शिक्षा और क्या चिकित्सा, भाटी ने बिजली, पानी, सड़क से लेकर इतने काम करवाए कि विरोधी भी वाहवाही करने लगे। उन्होंने नया एसडीएम ऑफिस, बज्जू पंचायत समिति, नई ग्राम पंचायतें बनाकर श्रीकोलायत की राजनीतिक तस्वीर बदल दी। भाटी के ये काम उन नेताओं के लिए नज़ीर है जो नकारात्मक राजनीति करते हैं। वो विकास की चिंता नहीं करते हैं और अगर करते भी हैं तो फौरी तौर पर। ऐसे नेता लम्बी राजनीति करने के लिए भँवर सिंह भाटी को अपना रोल मॉडल बना सकते हैं। भाटी के इन कामों ने प्रतिद्वन्दियों को जनहित में काम करने को मजबूर कर दिया है। वहीं अशोक गहलोत सरकार की साख बढ़ाई है। ख़ुद ने अपने क्षेत्र की जनता का विश्वास ही नहीं जीता, बल्कि अपना राजनीतिक क़द भी बढ़ाया है।
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